आमतौर पर मरघट और कब्रिस्तान शहर, गांव व बस्ती के बाहर होते हैं, जहां लोग तभी जाते हैं जब किसी की मौत हो जाती है। लेकिन मध्यप्रदेश में पन्ना शहर के निकट एक ऐसी बस्ती है, जहां की महिलाएं व बच्चे रोजाना कई बार कब्रिस्तान जाते हैं। इसकी खास वजह कब्रिस्तान में स्थित एक प्राचीन कुआं है। जो 60-70 घरों वाली इस बस्ती के लोगों का वर्षों से सहारा बना हुआ है।

उल्लेखनीय है कि जिला मुख्यालय से लगी हुई ग्राम पंचायत पुरुषोत्तमपुर की आदिवासी बस्ती चांदमारी दो दिनों से चर्चा में है। इस बस्ती में बीते 10 दिनों के दरमियान किसी रहस्यमय बीमारी के चलते 3 बच्चों की संदिग्ध मौत हो चुकी है तथा कई बच्चे बीमार हैं। बच्चों की मौत क्यों और किस बीमारी के कारण हुई यह रहस्य अभी बरकरार है। बच्चों की हुई असमय मौत से बस्ती के गरीब और भोले भाले आदिवासी डरे व सहमे हुए हैं।

बच्चों की हुई मौत का मामला जब प्रकाश में आया तो प्रशासन भी सक्रिय हुआ। सोमवार 5 जुलाई को चिकित्सकों व अधिकारियों की टीम यहां के हालातों का जायजा लेने पहुंची। पन्ना शहर के रानीगंज मोहल्ले से लगभग 1 किलोमीटर दूर यह चांदमारी बस्ती है, जिसके नीचे लोकपाल सागर तालाब व ऊपर की तरफ पहाड़ है। बस्ती के आसपास खेती योग्य जमीन नहीं है। जाहिर है कि यहां के वाशिंदे मेहनत मजदूरी करके अपना जीवन यापन करते हैं। सबसे बड़ी विडंबना यह है कि पिछले 4 दशक से भी अधिक समय से आदिवासी यहां रह रहे हैं, लेकिन मूलभूत सुविधा के नाम पर उनके हिस्से में कुछ भी नहीं आया।

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