ऊपरी सतलुज जलग्रहण क्षेत्र लगभग 19,000 वर्ग कि. मी. में फैला है । पूर्व दिशा में एक छोटे भाग को छोडकर लगभग पूरा किन्नौर जिला इस जलग्रहण क्षेत्र का हिस्सा है । सतलुज नदी का यह ऊपरी भाग, तीन प्रशासनिक इकाइयों के बीच में से आर-पार होते हुये, दक्षिण-पश्चिम रेखा के समानांतर स्थित है । किन्नौर के अंदर, नदी का बहुत तीव्र ढलान वाला प्रवाह है, उदाहरण के लिए, 130 कि. मी. की दूरी को पूरा करने में नदी 1830 मीटर नीचे आती है । सतलुज तथा स्पीति नदियां, एवम सतलुज तथा बस्पा नदियों के संगम के बीच की दूरी 73 कि. मी. है यानि सतलुज नदी की ऊंचाई यहां औसतन 1635 मीटर है तथा खाब से ऊपर की तरफ उच्चतम 2950 मीटर है । हिमाचल प्रदेश में 27,000 मेगावाट से ज्यादा सम्भावित पनबिजली ऊर्जा का अनुमान लगाया जा रहा है जिसके चलते एक के बाद एक कई परियोजनाएं यहां पानी के संसाधनों को भुनाना चाहती हैं । पनबिजली परियोजनाओं की सम्भावना को देखते हुये अच्छे वातावरण के नुकसान को ध्यान में नहीं रखा जा रहा है । इन परियोजनाओं के लिये लगभग 11,224 एकड़ (4600 हेक्टेयर) वन भूमि दिये जाने की उम्मीद है । जैसे-जैसे और परियोजनाओं को वन अनुमति मिलेगी, हस्तांतरित की जाने वाली वन भूमि का दायरा भी बढ़ता जाएगा ।
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