कोरोना महामारी के इस दौर में गरीबों के सामने सबसे बड़ा संकट आजीविका का है। ग्रामीण इलाकों के मजदूरों को रोजगार की गारंटी देने वाली योजना मनरेगा से भी मजदूरों राहत नहीं मिल पा रही है। समय पर मजदूरी न मिलने के कारण, कई इलाकों में मजदूर नया काम खोजने और पलायन को मजबूर हो रहे हैं। मध्य प्रदेश में पन्ना जिला मुख्यालय से लगभग 14 किलोमीटर दूर आदिवासी बहुल गांव कुडार में मनरेगा में काम करने वाले श्रमिक मजदूरी न मिलने से परेशान हैं। मन्नाबाई, जानकी, भगवंती व राजाबाई क्वांदर समेत दर्जनों महिलाओं ने पैसा न मिलने के कारण काम पर जाना छोड़ दिया है। लेकिन परेशानी ये है कि काम नहीं मिला तो घर कैसे चलेगा। पैसा क्यों नहीं मिला पूछे जाने पर भगवंती बताती हैं, “अब हमें का पता कि पैसा काय (क्यों) नहीं मिल रहो। सरपंच के पास जाते हैं तो कहता है कि पैसा जब आएगा तो खाते में डल जाएगा।” कुडरा गांव के ही युवक बिहारीलाल क्वांदर ( 22 वर्ष) गांव कनेक्शन को बताते हैं, “मजदूरी मांगने पर सरपंच चिढ़ जाता है, कहता है जहां जिससे बताना हो बता दो अभी पैसा नहीं मिलेगा। हमने पंचायत सचिव मनोज यादव से बात की तो उन्होंने कहा कि घबराओ नहीं पैसा लेट लतीफ आता है, जैसे ही आएगा डल (अकाउंट में) जायेगा।” बिहारी लाल के मुताबिक काम करवाने के बाद पैसा बहुत लेटलतीफ मिलता है इसलिए गांव के ज्यादातर लोग मनरेगा में काम करने नहीं जाते हैं।
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